दिया तले अंधेरा
Contents
- 1 रोशनी ही रोशनी है चारों तरफ तो क्या हुआ
- 2 दिया तले तो फिर भी अंधेरा ही हुआ,
- 3 खबर नहीं उनको मेरे इश्क़ की तो क्या हुआ
- 4 पर इश्क़ तो मुझे उनसे सच्चा ही हुआ,
- 5 है हर धड़कन पर उन्हीं का कब्जा तो क्या हुआ
- 6 अब दिल भी तो उन्हीं का ही हुआ,
- 7 उनको मेरी ग़ज़ल पसंद नहीं तो क्या हुआ
- 8 पर उनका हर लफ़्ज तो ग़ज़ल ही हुआ,
- 9 मुहब्बत में मिले जख़्म “मल्हार” तो क्या हुआ
- 10 उसकी यादें भी तो मरहम ही हुआ,
- 11 हम उन्हें हमसफ़र ना बना पाये तो क्या हुआ
- 12 उनकी यादों के साथ ये सफ़र ही तो हुआ
- 13 रोशनी ही रोशनी है चारों तरफ तो क्या हुआ
- 14 दिया तले तो फिर भी अंधेरा ही हुआ,
- 15 दिया तले तो फिर भी अंधेरा ही हुआ,
- 16
- 17 “मल्हार”
- 18 मौलिक
रोशनी ही रोशनी है चारों तरफ तो क्या हुआ
दिया तले तो फिर भी अंधेरा ही हुआ,
खबर नहीं उनको मेरे इश्क़ की तो क्या हुआ
पर इश्क़ तो मुझे उनसे सच्चा ही हुआ,
है हर धड़कन पर उन्हीं का कब्जा तो क्या हुआ
अब दिल भी तो उन्हीं का ही हुआ,
उनको मेरी ग़ज़ल पसंद नहीं तो क्या हुआ
पर उनका हर लफ़्ज तो ग़ज़ल ही हुआ,
मुहब्बत में मिले जख़्म “मल्हार” तो क्या हुआ
उसकी यादें भी तो मरहम ही हुआ,
हम उन्हें हमसफ़र ना बना पाये तो क्या हुआ
उनकी यादों के साथ ये सफ़र ही तो हुआ
रोशनी ही रोशनी है चारों तरफ तो क्या हुआ
दिया तले तो फिर भी अंधेरा ही हुआ,
दिया तले तो फिर भी अंधेरा ही हुआ,
“मल्हार”
मौलिक