mirza ghalib shayari in HIndi | urdu | Top Shayari | ghazals
mirza ghalib shayari in HIndi | urdu
मिर्जा गालिब (मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां) भारत के मुगल काल में महान और बेहतरीन उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। इनको उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है। इनका जन्म 27 दिसंबर 1797 को आगरा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था । वे एक समय में मुगल दरबार के शाही इतिहासविद भी थे ।उन्होने अधिकतर फारसी और उर्दू में पारम्परिक भक्ति और सौन्दर्य रस पर रचनाये लिखी जो गजल में लिखी हुई है। उन्होंने फारसी और उर्दू दोनो में पारंपरिक गीत काव्य की रहस्यमय-रोमांटिक शैली में सबसे व्यापक रूप से लिखा और यह गजल के रूप में जाना जाता है।
ghazals of ghalib :-
Aah Ko Chahiye Ek Umr Asar Hone Tak By Mirza Ghalib
मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग।
आया है बे-कसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद।
आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक।
कितना खौफ होता हैं शाम के अंधेरों में ,
पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते. . .!
कितना दूर निकल गए रिश्ते निभाते निभाते ,
खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते ,
लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में ,
और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते
हम ने मोहबतों कि नशे में आ कर उसे खुद बना डाला ,
होश तब आया जब उसने कहा कि खुद किसी एक का नहीं होता .
अभी मशरूफ हूँ काफी , कभी फुर्सत में सोचूंगा ,
के तुझको याद रखने में मैं क्या क्या भूल जाता हूँ .
न सोचा मैंने आगे, क्या होगा मेरा हशर,
तुझसे बिछड़ने का था, मातम जैसा मंज़र!
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