“तेरी मुस्कराहट “

तेरी वो मुस्कराहट जिसने दीवाना बना दिया मुझको
कहाँ मै जिया करता था मस्तमौला बन कर
तूने बेकार में अपना प्रेमी पागल बना दिया मुझको
कहाँ में नींद की आग़ोश में खोया रहता था
तूने अब सपनों में ही आकर बर्बाद कर दिया मुझको
इजहार प्यार का अब मैंं कर ही लूँ, पर
तेरी ख़ामोशी ने सोचने को मजबूर कर दिया मुझको
दूर से ही अब दीदार तेरा कर लेता हूँ
पास आकर, क्या पता लफंगा समझ ले तू मुझको
अब तो हर इबादत में तू ही तू है
ख़ुदा करे तू भी अब अपना दीवाना समझ ले मुझको

रोहित डोबरियाल
“मल्हार”

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