ये अपना तो ख्वाब नही
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था अपना तो ये ख्वाब नही
की सूना हो दिल-आंगन अपना
था अपना तो ऐसा प्यार नही
इम्तहान इश्क़ क्यों ले फिर इतना
जाओ दूर बिछुड़कर तुम मुझसे
था इतना नाज़ुक मेरा इश्क़ नही
तुम भी तो ये समझ ना पायी
था अपना तो ऐसा ख्वाब नही
शायद समझ ना पाया मैं भी
अब जो ठोकर खाया मैं भी
मैं अपने में ही स्वंय सिद्ध हूँ
प्रमाण इश्क में ना किसी ने पाया
था अपना तो ये ख्वाब नही
था अपना तो ऐसा प्यार नही
मौलिक
“मल्हार “
अद्धभुत… 👌👌👌
dhnyawad prbhu