लम्हें की ख़ता- Hindi Poems on Love | Loves Poem in Hindi | प्रेम कविता

एक लम्हें की खता की, सदियों की सजा ले बैठा

इन हुस्न के चाहने वालों के बीच मेरा प्यार खो बैठा

सिर्फ मुहब्बत ही की होती मैंने तो भुला देता

मेरा ये पागल दिल तो तेरी इबादत कर बैठा

लौट के आ जा एक बार उलझनें सुलझा जा

जमाने भर की गलतियों से जो मैं उलझा बैठा

सोचा रुलाऊँ आसमां को सुना किस्से अपने प्यार के

उस बेदर्द का तो पता नही मैं खुदी तेरी याद में रो बैठा

खुदी तेरी याद में रो बैठा…….

खुदी तेरी याद में रो बैठा………

रोहित डोबरियाल

“मल्हार”

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